(Published in the "Patrika - Jabalpur Edition" Newspaper on 07/06/2012)
दो आँखों में लेके सपने हज़ार लौटा
पथ्झादों को पीछे छोड के बहार लौटा
बदल गया है किस कदर ये समां देखो
आज एक फौजी लेके खुशियाँ घर बार लौटा
अंधेरों को मिटाकर जला दिया उम्मीदों का चिराग
सर्दी हो या सावन भुजने नहीं दिया बदले की आग
दुश्मनों ने उसको कुछ इस कदर लूटा
की तारे टूट गए मगर हिम्मत नहीं टूटा
इतिहास के पन्नों में ने नयी दास्ताँ लीखकर लौटा
आज एक फौजी लेके खुशियाँ घर बार लौटा
अपनों से तोडके जाता है वो हर रिश्ता रिश्ता
मिलता है बिछड़े हुए लोगों को बनके फ़रिश्ता
खुद से पहले देश को सजाता है
आजादी की अनुराग में हसरतों को मिटाता है
तोड़ के तूफानों का गुरूर,किनारे लौटा
आज एक फौजी लेके खुशियाँ घर बार लौटा
अब करदो दो हिसाब जगी हुयी रातों का
जवाब दो उस शख्स के अन्जिनत सवालो का
इनायत है वो खुदा की,करो उसे सलाम
सिर्फ उसकी बदौलत है इस देश की ऐशो आराम
कुर्बानियों को भूल कामयाबी लेकर लौटा
आज एक फौजी लेके खुशियाँ घर बार लौटा
दो आँखों में लेके सपने हज़ार लौटा
पथ्झादों को पीछे छोड के बहार लौटा
बदल गया है किस कदर ये समां देखो
आज एक फौजी लेके खुशियाँ घर बार लौटा
अंधेरों को मिटाकर जला दिया उम्मीदों का चिराग
सर्दी हो या सावन भुजने नहीं दिया बदले की आग
दुश्मनों ने उसको कुछ इस कदर लूटा
की तारे टूट गए मगर हिम्मत नहीं टूटा
इतिहास के पन्नों में ने नयी दास्ताँ लीखकर लौटा
आज एक फौजी लेके खुशियाँ घर बार लौटा
अपनों से तोडके जाता है वो हर रिश्ता रिश्ता
मिलता है बिछड़े हुए लोगों को बनके फ़रिश्ता
खुद से पहले देश को सजाता है
आजादी की अनुराग में हसरतों को मिटाता है
तोड़ के तूफानों का गुरूर,किनारे लौटा
आज एक फौजी लेके खुशियाँ घर बार लौटा
अब करदो दो हिसाब जगी हुयी रातों का
जवाब दो उस शख्स के अन्जिनत सवालो का
इनायत है वो खुदा की,करो उसे सलाम
सिर्फ उसकी बदौलत है इस देश की ऐशो आराम
कुर्बानियों को भूल कामयाबी लेकर लौटा
आज एक फौजी लेके खुशियाँ घर बार लौटा
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